Saturday, April 26, 2008

पं.सुरेश नीरव की कविता

सभ्यता के सर्प का हम दंश देखेंगे
जिंदगी के कोण का हम अंश देखेंगे
रहने लगे वातानुकूलित फ्लैट में रावण
अब महानगरों में लंका ध्वंस देखेंगे
राधिका के जिस्म पर रेप के नीले निशान
कृष्णवाली आंख से हम कंस देखेंगे
बीवियां माध्यम बनी जिनकी तरक्की का
उन अफसरों के पद नहीं हम वंश देखेंगे
आज तिकड़म के हुनर से योग्यता देखी
पराजितपांव कौऔ के दबाते हम हंस देखेंगे
अपहरण धरती का आसमान करने को है
अणुधर्मी वातास का विध्वंस देखेंगे।

हृदयेंद्र की भडास पर एक पोस्ट

अभी भड़ास पढ़ रहा था की उसपर मेरे बेहद सम्मानीय अनिल भरद्वाज जी के कमेंट पढने को मिल गए .....क्या अनुभूति हुयी..कैसे कहूँ....तोः जान लीजिये....अनिल दादा के बारे में ...दैनिक भास्कर में सीनियर सब एडिटर हैं....सही बात कहने के आदी..आपको अच्छी लगे तोः बल्ले बल्ले, वरना पतली गली से निकल ले...हम सब अपने घरों से दूर थे लेकिन अनिल दादा का हंसोड़ और मस्त व्यवहार सबको बड़ा भाता था....हम सब काबिल और तेज लड़के थे लेकिन अनुभव और दुनियादारी की बेहद कमी... अनिल दादा जब देखते की हम लोग कोई चुतियापा कर रहे हैं तोः तुरंत सलाह देते .....वोः भी २४ कैरेट शुद्ध....इधर अनिल दादा ने भडास पर मुझे देखा और बेहद शानदार सलाह दे डाली...धन्यवाद दादा .......दरअसल यूं तोः हममे और इनकी पीड़ी में खासा फर्क था..हम ब्रांडेड के दीवाने खासकर मैं( मेरे पिताजी कहते हैं...ब्रांडेड सोचो, ब्रांडेड पहनो, ब्रांडेड करो) येः सलाह इतना पसंद आई की आजतक ब्रांड का भूत मेरा पीछा नही छोड़ता है...और अनिल दादा बेहद सरल जीवन जीने के आदी....पहले तोः लगा की यार इन ओल्ड मॉडल लोगों को कैसे झेलूँगा पर जब नजदीक आता गया तोःइन सब के प्रति श्रद्धा और सम्मान मन में उपजा...
आज बडे दिन बाद अनिल दादा को देखा तोः रहा नही गया उनके प्रति आभार प्रकट करने से...और हाँ अनिल दादा लुधियाना में नवीन सर और राजीव सर से मेरा प्रणाम कहियेगा....इनके प्रति मेरे मन में सिर्फ़ और सिर्फ़ श्रद्धा ही हो सकती है...और कुछ नहीं....बाकी उम्मीद है भास्कर में बुरे लोग अभी भी जिंदा होंगे उन्हे भी जिंदा रहने का हक है...और आपकी लड़ाई उनके ख़िलाफ़ जारी होगी.....लगे रहिये..प्रेम देने में और बुरे लोगों से लड़ने में...