Saturday, April 26, 2008

पं.सुरेश नीरव की कविता

सभ्यता के सर्प का हम दंश देखेंगे
जिंदगी के कोण का हम अंश देखेंगे
रहने लगे वातानुकूलित फ्लैट में रावण
अब महानगरों में लंका ध्वंस देखेंगे
राधिका के जिस्म पर रेप के नीले निशान
कृष्णवाली आंख से हम कंस देखेंगे
बीवियां माध्यम बनी जिनकी तरक्की का
उन अफसरों के पद नहीं हम वंश देखेंगे
आज तिकड़म के हुनर से योग्यता देखी
पराजितपांव कौऔ के दबाते हम हंस देखेंगे
अपहरण धरती का आसमान करने को है
अणुधर्मी वातास का विध्वंस देखेंगे।

2 comments:

Unknown said...

Anil ji Namskar
kya hal hai
www.gonard.blogspot.com
sethjournalist007@gmail.com

सुकांत महापात्र said...

Very Good anil ji, keep it up